मनी लॉन्ड्रिंग का अर्थ
मनी लॉन्ड्रिंग एक अवैध प्रक्रिया है जिसमें काले धन को सफेद धन में बदला जाता है। यह एक गैरकानूनी गतिविधि है, जिसमें अपराधियों द्वारा अवैध रूप से अर्जित धन को छुपाने और उसे वैध स्रोतों से जोड़ने की कोशिश की जाती है। इसे “धन शोधन” भी कहा जाता है। उदाहरण के लिए, ड्रग तस्करी से कमाया गया धन किसी वैध व्यापार में निवेश करके सफेद किया जा सकता है।

मनी लॉन्ड्रिंग को कौन नियंत्रित करता है?
भारत में मनी लॉन्ड्रिंग को नियंत्रित करने के लिए कई सरकारी एजेंसियां काम करती हैं। इनमें प्रमुख रूप से प्रवर्तन निदेशालय (ED), भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), वित्तीय खुफिया इकाई (FIU-IND) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) शामिल हैं। ये एजेंसियां मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA – Prevention of Money Laundering Act, 2002) के तहत कार्य करती हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग और UPSC (Money Laundering UPSC)
यूपीएससी (UPSC) परीक्षा की दृष्टि से मनी लॉन्ड्रिंग एक महत्वपूर्ण विषय है। यह अर्थव्यवस्था, राजनीति, भ्रष्टाचार और कानून से जुड़ा एक प्रमुख मुद्दा है। इस विषय से जुड़े प्रश्न सामान्य अध्ययन (GS) पेपर-3 और निबंध में पूछे जा सकते हैं। PMLA अधिनियम, FATF (Financial Action Task Force), ED, और FIU-IND से जुड़े पहलुओं की जानकारी यूपीएससी के लिए बेहद जरूरी है।
मनी लॉन्ड्रिंग का प्रभाव
मनी लॉन्ड्रिंग का प्रभाव व्यापक होता है:
- आर्थिक अस्थिरता: इससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होता है और कर राजस्व कम होता है।
- अपराध को बढ़ावा: यह आतंकवाद, ड्रग तस्करी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है।
- विदेशी निवेश में कमी: अवैध धन के कारण अंतरराष्ट्रीय निवेशक हिचकिचाते हैं।
- बैंकिंग सेक्टर पर असर: इससे बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों की छवि खराब होती है और वे जोखिम में आ जाते हैं।
एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (Anti-Money Laundering)
Anti-Money Laundering (AML) का उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग की पहचान करना, उसे रोकना और दंडित करना है। इसमें विभिन्न कानून, विनियम और नीतियां शामिल होती हैं, जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों को संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्ट करने के लिए बाध्य करती हैं। भारत में PMLA, 2002 इस दिशा में एक प्रमुख कानून है। इसके तहत संपत्तियों की कुर्की और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है।
मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े कानून
भारत में मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए कई कानून लागू किए गए हैं:
- धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA, 2002)
- भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 (धोखाधड़ी)
- बेनामी लेनदेन निषेध अधिनियम, 1988
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA)
- कंपनी अधिनियम, 2013 (कंपनियों में वित्तीय अनियमितताओं की निगरानी के लिए)
मनी लॉन्ड्रिंग के प्रमुख मामले (Money Laundering Cases)
भारत में कई हाई-प्रोफाइल मनी लॉन्ड्रिंग केस सामने आए हैं, जिनमें:
- विजय माल्या केस – बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा मामला।
- नीरव मोदी केस – पीएनबी घोटाला, जिसमें अरबों रुपये का घोटाला किया गया।
- सत्यं कंप्यूटर घोटाला – वित्तीय अनियमितताओं के कारण यह मामला चर्चित रहा।
- आईएनएक्स मीडिया केस – विदेशी फंडिंग में गड़बड़ी से संबंधित मामला।
- संदेसरा स्टर्लिंग बायोटेक केस – यह भी मनी लॉन्ड्रिंग का एक बड़ा मामला था।
निष्कर्ष
मनी लॉन्ड्रिंग एक गंभीर अपराध है जो अर्थव्यवस्था और समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। भारत सरकार PMLA और अन्य कानूनों के माध्यम से इसे रोकने का प्रयास कर रही है। इसके अलावा, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को संदिग्ध लेनदेन पर नजर रखने के निर्देश दिए जाते हैं। जागरूकता बढ़ाकर, सख्त कानूनों को लागू कर, और वित्तीय निगरानी को मजबूत करके इस अपराध को रोका जा सकता है।