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India-China meeting at SCO: पृष्ठभूमि, मुद्दे और वैश्विक असर- 2025

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India-China Meeting at SCO 2025: अवसर और चुनौतियों का सामंजस्य

2025 में India-China meeting at SCO, जो कि चीन के तियानजिन में आयोजित हो रहा है, पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित कर रहा है। यह बैठक दो एशियाई महाशक्तियों के बीच कूटनीतिक संवाद और रणनीतिक सहयोग की महत्ता को दर्शाती है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के मंच पर, भारत और चीन सीमाओं, सुरक्षा, और आर्थिक सहयोग जैसे जटिल मुद्दों पर बहुपक्षीय रूप से चर्चा कर सकते हैं। इस वर्ष का तियानजिन शिखर सम्मेलन दोनों देशों को अपने रणनीतिक संबंधों को बहुपक्षीय ढांचे में मजबूत करने का अवसर देता है।

भारत-चीन संबंध वर्षों से सहयोग और संघर्ष का मिश्रण रहे हैं। व्यापारिक सहयोग और तकनीकी साझेदारी ने संबंधों को मजबूती दी है, जबकि लद्दाख और डोकलाम जैसी सीमा विवादों ने कभी-कभी तनाव पैदा किया है। India-China meeting at SCO ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे विश्वास निर्माण और तनाव कम करने के उपाय खोजे जा सकते हैं।सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक मुद्दे भी इस संवाद का केंद्र हैं। भारत और चीन के द्विपक्षीय व्यापार में असंतुलन और नियमों पर चर्चा करना SCO शिखर सम्मेलन की प्रमुख भूमिका है। India-China meeting at SCO 2025 एशिया में बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य और क्षेत्रीय स्थिरता पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।

SCO का इतिहास 

Table of Contents

शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना वर्ष 2001 में हुई। इसके प्रारंभिक सदस्य देश थे चीन, रूस, कज़ाख़स्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान। इसका मूल उद्देश्य था सीमा विवादों का शांतिपूर्ण समाधान और आतंकवाद विरोधी सहयोग। 2017 में भारत और पाकिस्तान भी इसमें शामिल हुए, जिससे संगठन की पहुंच दक्षिण एशिया तक बढ़ गई। SCO का निर्माण मूल रूप से अमेरिका के प्रभाव को संतुलित करने और बहुपक्षीय कूटनीति को मजबूत करने के लिए किया गया था। समय के साथ यह संगठन सुरक्षा, व्यापार, ऊर्जा और कनेक्टिविटी जैसे बहुआयामी विषयों पर सहयोग का मंच बन गया।

SCO में भारत की भूमिका 

भारत ने SCO में शामिल होकर अपनी रणनीतिक स्थिति को और मजबूत किया। भारत का उद्देश्य है कि इस मंच का उपयोग करके आतंकवाद विरोधी सहयोग, ऊर्जा तक पहुंच और मध्य एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाए। इसके अतिरिक्त, भारत SCO को पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों के साथ संवाद के अवसर के रूप में भी देखता है। SCO में भारत की सक्रियता यह दर्शाती है कि वह केवल क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक मुद्दों पर भी अपनी भूमिका चाहता है। India-China meeting at SCO भारत के लिए कूटनीति का एक महत्वपूर्ण कदम है।

SCO में चीन की भूमिका 

चीन SCO का संस्थापक सदस्य है और 2025 का सम्मेलन उसी के तियानजिन शहर में हुआ। चीन के लिए SCO एक ऐसा मंच है जहां वह अपनी Belt and Road Initiative (BRI) जैसी योजनाओं को आगे बढ़ा सकता है। चीन की प्राथमिकता है कि इस संगठन के माध्यम से एशिया में अमेरिकी प्रभाव को संतुलित किया जाए और क्षेत्रीय सुरक्षा में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका मजबूत की जाए। India-China meeting at SCO भी चीन के लिए अहम थी क्योंकि इससे उसे भारत के साथ संवाद बनाए रखने का अवसर मिला, भले ही रिश्ते तनावपूर्ण हों।

SCO में रूस की भूमिका 

रूस शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और संगठन के स्थायित्व तथा रणनीतिक संतुलन में योगदान देता है। SCO के शुरुआती सदस्यों में शामिल होने के कारण रूस का अनुभव और प्रभाव संगठन की नीतियों और निर्णयों में अहम है। India-China meeting at SCO जैसे शिखर सम्मेलनों में रूस अक्सर मध्यस्थ की भूमिका निभाता है, जिससे भारत और चीन के बीच विश्वास निर्माण और संवाद को बढ़ावा मिलता है। रूस सुरक्षा, ऊर्जा और सैन्य सहयोग के मामलों में दोनों देशों के साथ मिलकर काम करता है। इसके अलावा, रूस SCO के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने और बहुपक्षीय कूटनीति को सशक्त करने में भी मदद करता है, जिससे दक्षिण और मध्य एशिया में संतुलन कायम रहता है।

India-China Meeting at SCO 2025: महत्वपूर्ण तथ्य

श्रेणीजानकारी
सम्मेलन का नामशंघाई सहयोग संगठन (SCO) 2025 शिखर सम्मेलन
तिथि और स्थान2025, तियानजिन, चीन
मुख्य सहभागी देशभारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिज़िस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान
मुख्य एजेंडाराजनीतिक संवाद, आर्थिक सहयोग, सुरक्षा और सीमा विवाद, तकनीकी सहयोग, ऊर्जा और कनेक्टिविटी परियोजनाएँ
भारत की भूमिकाSCO में रणनीतिक सहयोग, बहुपक्षीय कूटनीति, क्षेत्रीय सुरक्षा और व्यापारिक हितों को मजबूत करना
चीन की भूमिकामेज़बान देश के रूप में SCO की अध्यक्षता, क्षेत्रीय प्रभुत्व और BRI के माध्यम से प्रभाव बढ़ाना
भारत-चीन संबंधों का अवलोकनसहयोग और संघर्ष का मिश्रण, सीमा विवाद (लद्दाख, डोकलाम), व्यापारिक संबंध और तकनीकी साझेदारी
मुख्य मुद्देसीमा विवाद, द्विपक्षीय व्यापार, सुरक्षा सहयोग, ऊर्जा और कनेक्टिविटी परियोजनाएँ, SCO और BRICS लिंक
सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोगSCO का Regional Anti-Terrorist Structure (RATS), सैन्य संवाद और रणनीतिक समन्वय
आर्थिक और व्यापारिक मुद्देभारत-चीन व्यापार संतुलन, निवेश अवसर, व्यापारिक असंतुलन, कनेक्टिविटी और व्यापारिक गलियारे
तकनीकी सहयोग5G, साइबर सुरक्षा, AI, डिजिटल परियोजनाएँ और तकनीकी नवाचार में साझेदारी
क्षेत्रीय प्रभावदक्षिण एशिया और मध्य एशिया में स्थिरता, पाकिस्तान, नेपाल और भूटान पर प्रभाव
भविष्य की संभावनाएँSCO मंच के माध्यम से तनाव में कमी, सहयोग बढ़ाने के अवसर और क्षेत्रीय संतुलन में योगदान
महत्वपूर्ण परिणामकूटनीतिक संवाद, व्यापार और सुरक्षा समझौते, क्षेत्रीय और वैश्विक रणनीतिक संतुलन पर प्रभाव

भारत-चीन संबंधों का अवलोकन 

भारत और चीन के संबंध प्राचीन काल से व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर आधारित रहे हैं। लेकिन 1962 का युद्ध इन रिश्तों में गहरी दरार ले आया। 1980 के दशक के बाद संबंध सुधारने की कोशिश हुई, पर सीमाई तनाव हमेशा मौजूद रहा। हाल के वर्षों में लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को लेकर विवाद बढ़ा है। साथ ही, India-China trade में भारत का भारी घाटा और चीनी निवेश पर संदेह संबंधों को और जटिल बनाता है। 2025 तक स्थिति यह है कि सहयोग की संभावनाएं हैं लेकिन अविश्वास गहरा है।

सीमा विवाद और सैन्य टकराव 

भारत-चीन सीमा विवाद लंबे समय से जारी है। लद्दाख और अक्साई चिन में चीन का दावा और अरुणाचल प्रदेश पर उसकी नज़र रिश्तों को तनावपूर्ण बनाए हुए है। 2017 का डोकलाम संकट और 2020 की गलवान घाटी की झड़पों ने दोनों देशों के बीच अविश्वास को और बढ़ाया। 2025 में हालात अभी भी पूरी तरह सामान्य नहीं हैं। हालांकि India-China meeting at SCO ने इस मुद्दे पर बातचीत का रास्ता खोला। फिर भी, वास्तविक समाधान मुश्किल है क्योंकि सीमा विवाद दोनों देशों की रणनीतिक और सुरक्षा चिंताओं से जुड़ा हुआ है।

आर्थिक और व्यापारिक संबंध 

भारत और चीन के बीच आर्थिक संबंध जटिल लेकिन महत्वपूर्ण हैं। 2024-25 में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार लगभग 135 अरब डॉलर तक पहुँच गया। हालांकि इसमें भारत का बड़ा ट्रेड डेफिसिट है, जो चिंता का विषय है। भारत ने सुरक्षा कारणों से कई चीनी कंपनियों और ऐप्स पर प्रतिबंध भी लगाया। इसके बावजूद भारत-चीन व्यापारिक रिश्ते मजबूत बने हुए हैं क्योंकि भारत को चीन से सस्ते उत्पाद मिलते हैं और चीन के लिए भारत बड़ा बाज़ार है। SCO जैसे मंच इस आर्थिक असंतुलन को सुधारने का अवसर प्रदान करते हैं।

SCO : एक कूटनीतिक मंच 

SCO का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह भारत और चीन जैसे विरोधी देशों को बातचीत का मौका देता है। India-China meeting at SCO इसी का उदाहरण है। भले ही सीमा विवाद और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा बनी रहे, लेकिन इस मंच पर दोनों देश सहयोगी भूमिका निभाने के लिए बाध्य होते हैं। SCO की बैठकों में साझा मुद्दों जैसे आतंकवाद विरोध, व्यापार सहयोग और ऊर्जा सुरक्षा पर सहमति बनाने की कोशिश होती है। यही कारण है कि SCO एशियाई राजनीति में एक विशेष स्थान रखता है।

India-China Meeting at SCO का एजेंडा 

तियानजिन में हुई India-China meeting at SCO 2025 में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। इनमें प्रमुख थे: द्विपक्षीय व्यापार संतुलन, सीमा विवाद पर तनाव कम करने की कोशिश, कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स जैसे CPEC और INSTC, और BRICS तथा SCO के बीच तालमेल। बैठक में दोनों देशों ने सुरक्षा और आतंकवाद निरोध पर भी सहमति जताई। हालांकि, भारत ने चीन की Belt and Road Initiative (BRI) को लेकर अपनी आपत्तियाँ दोहराईं। इस बैठक का उद्देश्य था कि प्रतिस्पर्धा के बावजूद संवाद की संभावना बनी रहे।

सुरक्षा और आतंकवाद निरोध सहयोग 

SCO की Regional Anti-Terrorist Structure (RATS) क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग का महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत और चीन दोनों आतंकवाद और उग्रवाद को अपने लिए खतरा मानते हैं। SCO 2025 में इस विषय पर विशेष चर्चा हुई और दोनों देशों ने सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। हालांकि, पाकिस्तान की भूमिका इस सहयोग को जटिल बनाती है क्योंकि भारत उसे आतंकवाद का समर्थक मानता है। इसके बावजूद India-China meeting at SCO के दौरान आतंकवाद निरोध सहयोग एक साझा प्राथमिकता के रूप में उभरा।

ऊर्जा और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स 

चीन अपने Belt and Road Initiative (BRI) को SCO के मंच पर लगातार आगे बढ़ा रहा है। लेकिन भारत इस परियोजना का विरोध करता है क्योंकि यह CPEC (China-Pakistan Economic Corridor) से जुड़ा हुआ है, जो विवादित क्षेत्र से गुजरता है। भारत अपनी तरफ से INSTC (International North-South Transport Corridor) और चाबहार पोर्ट जैसे विकल्पों पर ज़ोर देता है। India-China meeting at SCO में कनेक्टिविटी और ऊर्जा सहयोग पर चर्चा हुई लेकिन दोनों देशों के दृष्टिकोण में बड़ा अंतर साफ़ नजर आया।

बहुपक्षवाद और क्षेत्रीय स्थिरता 

SCO एक ऐसा संगठन है जो बहुपक्षवाद को बढ़ावा देता है और एशिया में अमेरिकी प्रभाव को संतुलित करने का काम करता है। भारत और चीन दोनों ही बहुपक्षवाद के पक्षधर हैं, लेकिन उनकी रणनीतियाँ अलग-अलग हैं। भारत लोकतांत्रिक ढांचे और खुली साझेदारी को प्राथमिकता देता है जबकि चीन केंद्रीकृत नियंत्रण और आर्थिक वर्चस्व पर ध्यान देता है। India-China meeting at SCO इस बात को दिखाती है कि बहुपक्षीय मंचों पर भी दोनों देशों के बीच सहयोग और प्रतिस्पर्धा साथ-साथ चलती है।

India-China Meeting at SCO का दक्षिण एशिया पर असर 

SCO 2025 में हुई India-China meeting at SCO का प्रभाव पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ा। पाकिस्तान इस बैठक को कड़ी नज़र से देख रहा था क्योंकि भारत और चीन के रिश्तों का असर सीधे उस पर पड़ता है। नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसे छोटे देशों के लिए भी यह बैठक अहम रही क्योंकि ये देश भारत और चीन दोनों के बीच संतुलन साधने की कोशिश करते हैं। दक्षिण एशियाई राजनीति में यह स्पष्ट है कि भारत-चीन रिश्तों की दिशा पूरे क्षेत्र की स्थिरता और विकास को प्रभावित करती है।

India-China Meeting at SCO का मध्य एशिया पर असर 

SCO के सदस्य देश मध्य एशियाई क्षेत्र भारत और चीन दोनों के लिए रणनीतिक महत्व रखते हैं। यह क्षेत्र ऊर्जा संसाधनों और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स का केंद्र है। चीन ने BRI के ज़रिए यहां अपनी पकड़ मजबूत की है, जबकि भारत सॉफ्ट पावर और ऐतिहासिक रिश्तों पर ज़ोर देता है। India-China meeting at SCO ने यह सवाल उठाया कि मध्य एशिया में दोनों देशों की प्रतिस्पर्धा कैसे संतुलित होगी। स्पष्ट है कि यह क्षेत्र भविष्य की एशियाई राजनीति का निर्णायक मोर्चा बनेगा।

India-China Meeting at SCO का अमेरिका प्रभाव

SCO 2025 और India-China meeting at SCO के परिणाम न केवल एशिया बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए SCO का बढ़ता प्रभाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह संगठन एशियाई देशों के बीच बहुपक्षीय सहयोग और रणनीतिक संतुलन को मजबूत करता है। अमेरिका-चीन और अमेरिका-भारत संबंधों पर भी SCO की गतिविधियाँ असर डालती हैं, खासकर व्यापार, सुरक्षा और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में। SCO के निर्णय वैश्विक भू-राजनीति, ऊर्जा बाजार और सुरक्षा नीतियों को प्रभावित कर सकते हैं। इससे अमेरिका और यूरोपीय देशों को अपनी विदेश नीति और रणनीतिक गठजोड़ पर नए तरीके से विचार करना पड़ता है।

India-China Meeting at SCO में रूस की मध्यस्थ भूमिका 

रूस हमेशा से SCO का अहम स्तंभ रहा है और उसने भारत और चीन के बीच संतुलन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2025 के शिखर सम्मेलन में भी रूस ने दोनों देशों को संवाद के लिए प्रेरित किया। रूस की रणनीति है कि वह एशिया में चीन और भारत दोनों के साथ अपने रिश्ते मजबूत रखे। इसीलिए India-China meeting at SCO में रूस की मौजूदगी ने वातावरण को सहज बनाने का काम किया। यह दिखाता है कि रूस आज भी एशियाई राजनीति में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है।

तकनीक और डिजिटल सहयोग 

भारत और चीन दोनों तकनीकी क्षेत्र में बड़ी ताकत बन चुके हैं। चीन 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर सिक्योरिटी में अग्रणी है जबकि भारत डिजिटल लोकतंत्र और स्टार्टअप इकोसिस्टम में आगे है। SCO 2025 में तकनीक पर सहयोग और प्रतिस्पर्धा दोनों पर चर्चा हुई। India-China meeting at SCO में यह सवाल उठाया गया कि क्या दोनों देश तकनीक में सहयोग कर सकते हैं या फिर प्रतिस्पर्धा ही बढ़ेगी। स्पष्ट है कि डिजिटल युग में यह विषय भविष्य के रिश्तों को तय करेगा।

व्यापारिक कॉरिडोर और इन्फ्रास्ट्रक्चर 

SCO के मंच पर CPEC, INSTC और चाबहार पोर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स पर चर्चा हुई। चीन CPEC को आगे बढ़ा रहा है लेकिन भारत इसका विरोध करता है। भारत INSTC और चाबहार को अपने लिए रणनीतिक विकल्प मानता है। India-China meeting at SCO ने यह दिखाया कि व्यापारिक कॉरिडोर न केवल आर्थिक बल्कि राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का हिस्सा हैं। दोनों देश अपने-अपने प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाना चाहते हैं, जिससे सहयोग की संभावनाओं के साथ टकराव की आशंका भी बनी रहती है।

जलवायु परिवर्तन और सतत विकास

SCO 2025 में जलवायु परिवर्तन और सतत विकास भी एक बड़ा मुद्दा रहा। भारत और चीन दोनों वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी निभाने वाले बड़े देश हैं। India-China meeting at SCO में यह तय हुआ कि दोनों देश ग्रीन एनर्जी, क्लीन टेक्नोलॉजी और कार्बन उत्सर्जन कम करने पर सहयोग बढ़ा सकते हैं। हालांकि, विकास की प्राथमिकताओं और आर्थिक दबावों के कारण इस सहयोग में सीमाएँ भी मौजूद हैं। फिर भी जलवायु परिवर्तन ऐसा क्षेत्र है जहां प्रतिस्पर्धा की बजाय सहयोग की संभावना अधिक है।

एशिया से बाहर की भू-राजनीति 

भारत और चीन की प्रतिद्वंद्विता केवल एशिया तक सीमित नहीं है। दोनों देश वैश्विक संस्थाओं जैसे UN, BRICS और G20 में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। SCO के माध्यम से यह प्रतिस्पर्धा और सहयोग दोनों दिखते हैं। India-China meeting at SCO ने यह स्पष्ट किया कि वैश्विक भू-राजनीति में दोनों देशों की स्थिति एक-दूसरे को प्रभावित करती है। अमेरिका और यूरोप की नीतियाँ भी इन रिश्तों पर असर डालती हैं। यह वैश्विक स्तर पर शक्ति संतुलन के भविष्य को तय करेगा।

भविष्य की संभावनाएँ 

India-China meeting at SCO 2025 ने दोनों देशों को संवाद का अवसर दिया। भविष्य में रिश्तों में सुधार की संभावना बनी हुई है लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं। सीमा विवाद, आर्थिक असंतुलन और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा रिश्तों को कठिन बनाए रखते हैं। फिर भी SCO जैसे मंच संवाद और सहयोग का अवसर प्रदान करते हैं। यदि दोनों देश इसे समझदारी से उपयोग करें तो दक्षिण एशिया और मध्य एशिया में स्थिरता लाई जा सकती है।

निष्कर्ष 

भारत और चीन के रिश्ते एशिया और वैश्विक राजनीति के लिए निर्णायक हैं। India-China meeting at SCO यह दिखाती है कि प्रतिस्पर्धा के बावजूद संवाद संभव है। अवसर हैं: व्यापार सहयोग, आतंकवाद विरोध, ऊर्जा और पर्यावरण पर साझेदारी। चुनौतियाँ भी हैं: सीमा विवाद, रणनीतिक टकराव और अविश्वास। आगे का रास्ता इस संतुलन में छिपा है कि दोनों देश सहयोग को कितना महत्व देते हैं। यदि SCO जैसे मंच का सही उपयोग हुआ तो एशिया की राजनीति में स्थिरता और विकास का नया अध्याय लिखा जा सकता है।

FAQs

1. SCO 2025 कहाँ आयोजित हुआ?
👉 तियानजिन, चीन।

2. India-China meeting at SCO क्यों महत्वपूर्ण थी?
👉 क्योंकि दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण होने के बावजूद यह बैठक संवाद का मंच बनी।

3. भारत SCO में कब शामिल हुआ?
👉 2017 में।

4. चीन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
👉 BRI को आगे बढ़ाना और क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ाना।

5. भारत का मुख्य उद्देश्य क्या है?
👉 क्षेत्रीय सुरक्षा, ऊर्जा सहयोग और रणनीतिक संतुलन।

6. क्या SCO भारत-चीन सीमा विवाद सुलझा सकता है?
👉 सीधे तौर पर नहीं, लेकिन संवाद को आसान बना सकता है।

7. भारत-चीन व्यापार कितना है?
👉 लगभग 135 अरब डॉलर (2024-25)।

8. SCO में रूस की भूमिका क्या है?
👉 भारत और चीन के बीच मध्यस्थता करना।

9. पाकिस्तान पर क्या असर है?
👉 भारत-चीन रिश्तों की दिशा पाकिस्तान की रणनीति को प्रभावित करती है।

10. क्या India-China meeting at SCO 2025 से रिश्तों में सुधार होगा?
👉 सीमित स्तर पर, लेकिन बड़ा बदलाव तुरंत संभव नहीं।

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